वास्तु क्या है? // वास्तु के कुछ महत्वपुर्ण सिद्धांत

वास्तु क्या है?

Some important principles of architectural हमारे प्राचीन वास्तु ज्ञानी विश्वकर्मा ने मानव-जाति के लिए अपने अनुभव के आधार पर वास्तु विज्ञान की रचना की थी। उन्होंने अपने ग्रन्थों में मानव जाति के निवास स्थान के लिए प्रकृति के विभिन्न नियम व सिद्धान्तों को मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के विषय में पूर्ण जानकारी दी थी। वास्तु भारत का प्राचीन शास्त्रीय ज्ञान है, जिसकी सार्वभौम प्रमाणिकता वेद एवम् पुराणों के समान है। वास्तु के सिद्धान्तों को पालन करने से मनुष्य अपने जीवन में सुख शान्ति पाता है।

Some important principles of architectural

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  2. राजस्थानी चित्रकला की मारवाड़ शैली / Marwar School of Paintings
  3. राजस्थान का इतिहास – प्रागैतिहासिक, आद्य ऐतिहासिक एवं ऐतिहासिक काल

Some important principles of architectural

वास्तु के कुछ महत्वपुर्ण सिद्धांत

Some important principles of architectural

  1. घर के मुख्य द्वार पर मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है। इसीलिए लोग मुख्य द्वार पर गणेश की मूर्ति लगवाते है।
  2. घर का मुख्य द्वार इस प्रकार बनवाएं, जिससे उस पर किसी की छाया न पड़े।
  3. आप के घर का मुख्य द्वार किसी अन्य मकान के मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होना चाहिए।
  4. घर के बाहर तुलसी का पौधा उगाएं।
  5. रसोईघर, शौचालय तथा पूजास्थल एक-दूसरे के पास-पास न बनाएँ।
  6. रसोईघर, मुख्य द्वार के ठीक सामने नहीं होनी चाहिए। उससे हटकर होनी चाहिए।
  7. घर का उत्तरपूर्वी कोना घर के मुख के समान होता है। अतः उसे सदैव साफ-सुथरा रखना चाहिए।
  8. बिजली के गर्मी पैदा करने वाले उपकरण कमरे के दक्षिण-पूर्वी कोने में रखें।
  9. घर में टूटे हुए दर्पण नहीं होने चाहिए। ये बहुत अशुभ होते हैं।
  10. दर्पण, सिंक, वाश-बेसिन और नलकों को यथासम्भव उत्तर-पूर्वी दीवार के सहारे रखें।
  11. सेफ का दरवाजा, उत्तर अथवा पूर्व की ओर खुले, इसके लिए सेफ को दक्षिण या पश्चिम की दीवार की तरफ रखें।
  12. जहां तक सम्भव हो सके शौचालय की सीट उत्तर-दक्षिण धुरी के अनुरूप् रखें। सैप्टिक टैंक उत्तर-पश्चिम या दक्षिण पूर्व कोने में रखा जा सकता है।
  13. कुड़ादान, सड़क की बत्ती, खम्भा या कोई बड़ा द्वार दरवाजे के सामने न हो। हर व्यक्ति को यही प्रयास करना चाहिए।
  14. भवन निर्माण में व्यक्ति को यह विशेष ध्यान रखना चाहिए कि दरवाजों तथा खिड़कियों की संख्या भू-तल पर अधिक तथा प्रथम-तल पर भू-तल की अपेक्षा कम होनी चाहिए।
  15. घर के अन्दर जो बच्चे अध्ययन कर रहे हैं, वे उत्तर अथवा पूर्व दिशा की ओर मुंह करके अपना अध्ययन करें अर्थात् पढ़े लिखें।
  16. घर के वास्तुदोष मिटाने के लिये कीटाणुनाशक पौंछे के पानी में सेंधा नमक अथवा सांभर नमक मिला लेना चाहिए।

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कुछ अन्य महत्वपुर्ण सिद्धांत

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  1. अपने घर के अन्दर किसी बीम के नीचे न तो बैठें और न सोयें। यदि बैठना अथवा सोना किसी मजबूरी के कारण हो तो उस बीम पर फाल्स सीलिंग करवा लेनी चाहिए।
  2. आपके घर में युद्ध, अपराध, अशान्ति, आक्रोश या कष्ट अथवा दुःख दर्द का चित्रण करती हुई कोई पेंन्टिग दीवार पर न लगाएं।
  3. घर के अन्दर कैक्टस नहीं रखने चाहिए। घर की चारदीवारी के बाहर कैक्टस रखने चाहिए।
  4. वर्षा का पानी या नाली के पानी की निकासी उत्तर-पूर्व या पूर्व-उत्तर की ओर बहना चाहिए।
  5. घर के वयोवृद्ध लोग दक्षिण-पश्चिम कोने में रहने से सदैव सुविधा अनुभव करते है।
  6. इमारत की ऊंचाई नैर्ऋत्य से ईशान की ओर घटनी चाहिए।
  7. भवन निर्माण के समय सदैव नई सामग्री ही प्रयोग करनी चाहिए। यदि भवन की मरम्मत या उसका नवीनीकरण करना हो तो दूसरी बात है।
  8. भवन में घड़ियां पश्चिम, उत्तर अथवा पूर्व दिशा की दीवारों पर लगानी चाहिए।
  9. घर में घड़ियों की आवाज तीव्र अथवा कर्कश नहीं होनी चाहिए अर्थात् मधुर आवाज वाली घडियां ही प्रयोग करें।
  10. सामान्य परिस्थितियों में मुख्यद्वार के बाहर कांच नहीं लगाना चाहिए और यदि मुख्यद्वार के सम्मुख दक्षिण दिशा से द्वार वेध हो, तो इस मुख्य द्वार पर दर्पण अवश्य लगाने चाहिए।
  11. घड़ियां यदि सैल से चलने वाली हों तो सैल के कमजोर होते ही सैल बदल देना चाहिए अन्यथा कमजोर सैल से धीमी गति से चलने वाली घड़ियां घर के स्वामी के भाग्य की गति को भी धीमा कर देती है।
  12. घड़ियां सदैव चलती रहनी चाहिएं, क्योंकि बन्द घड़ी अशुभ समय की ओर संकेत करती है।
  13. सीढ़ियों के नीचे पूजा घर या शौचालय नहीं होना चाहिए।
  14. प्लाट के बीचो-बीच कुआं बनाना अथवा रखना अशुभ होता है।
  15. नए मकान के निर्माण से पहले भूमि-पूजन कराना अत्यन्त आवश्यक होता है और फिर उसमें प्रवेश करने से पहले गृह-प्रवेश पूजा भी जरूरी है।

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