History of India: भारत का इतिहास

History of India

History of India:-भारत का इतिहास बहुत ही लंबा चौड़ा इतिहास है। इनके बारे में आसानी से सही ढंग से जान पाना बहुत ही मुश्किल है। HISTORY OF INDIA के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें भारतीय इतिहास के स्रोतो का अच्छी तरह से अध्ययन करना पड़ता है। भारतीय इतिहास का कालक्रम भिन्न-भिन्न भागों में विभाजित किया गया है। इन भागों का निर्माण निरंतर समय परिवर्तन के साथ हुआ है। आज हम प्राचीन भारत का इतिहास के साथ-साथ उन सभी स्रोतों का अध्ययन करेंगे जो हमें भारतीय इतिहास के बारे में जानकारी देते है।

इतिहास के बारे में पढ़ने से पहले हमे प्राचीन भारतीय इतिहास की सामान्य जानकारी होना जरूरी है, क्योंकि जिनसे हमें विस्तार से अध्ययन करने में सहायता मिलेगी तथा उनको अच्छी तरीके से पढ़ सकेंगे।

हम इतिहास इतिहास इतिहास…. …. तो कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि इतिहास है क्या (what is history) , इतिहास कहते किसे है, इतिहास का शाब्दिक अर्थ क्या है। तो चले देखते हैं –

इतिहास (History) – इतिहास का शाब्दिक अर्थ है प्राचीन काल से वर्तमान तक की प्रमुख घटनाओं का तिथि क्रम के आधार पर संकलन को इतिहास कहते हैं या इतिहास की संज्ञा दी जा सकती है।(History of India)

  • इतिहास का जनक या पितामह हेरोडॉट्स को कहा जाता है, जो यूनान का निवासी था हेरोडॉट्स भारत में पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व में आया और हिस्टोरीका नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें भारत व पारस बीच होने वाले व्यापार का वर्णन मिलता है।
  • भारत में इतिहास लेखन की परंपरा को जन्म देने वाला व्यक्ति विलियम जॉन्स था।

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत-

पुरातात्विक स्रोतों एवं लेखन सामग्री के आधार पर हम इतिहास को तीन कालखंडो में बांट सकते हैं, जो निम्न प्रकार से है-

इतिहास का विभाजन

  • प्रागैतिहासिक काल (pre historic period)
  • आधैतिहासिक काल (proto historic period)
  • ऐतिहासिक काल (historic period)

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प्रागैतिहासिक काल (pre historic period) –

जिस काल को जानने के लिए लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है उसे हम प्रागैतिहासिक काल कहते हैं। इस काल में हमें पत्थरो के औजार व उपकरण मिलते हैं इसी कारण इस काल को पाषाण युग काल भी कहा जाता है इस काल में मिला पहला हथियार हंड एक्स (हस्त कुठार कुल्हाड़ी)।(History of India)

पाषाण काल युग को हम तीन भागों में विभाजित करते हैं –

  1. पुरापाषाण युग,
  2. मध्य पाषाण युग,
  3. नवपाषाण युग।

1.पुरापाषाण युग –

  • पुरापाषाण युग ( अज्ञात काल से 8000 ई.पू़) को पैल्योलिथिक ऐज भी कहते हैं
  • इस युग में मानव ने अनगड़े पत्थरों का प्रयोग, आग का आविष्कार किया।
  • भारत में इस काल से संबंधित पहली खोज 1863 ईस्वी में रॉबर्ट ब्रूसफूट ने मद्रास (चेन्नई) के निकट पल्लवरम नामक स्थान पर की।
  • पुरापाषाण कालीन संस्कृति के अवशेष सोन नदी घाटी, बेलन नदी घाटी, नर्मदा नदी धारा और भीमबेटका से प्राप्त हुए।
  • भारत में अग्नि का प्राचीनतम अवशेष आंध्र प्रदेश के कर्नूल नामक स्थान से प्राप्त हुआ।(History of India)

2. मध्य पाषाण युग –

  • इस काल में मानव ने गढे़ (तीखे ,नुकीले) पत्रों का प्रयोग किया तथा पशुपालन का कार्य सीखा।
  • मध्य पाषाण युग से संबंधित भारत में पहली खोज 1867 ईस्वी में सी एल कार्लाइल ने विद्यांचल पर्वत माला के आसपास की।
  • पशुपालन की दृष्टि से प्रमुख साक्ष्य स्थल आजमगढ़ (मध्य प्रदेश) एवं बागोर (भीलवाड़ा, राजस्थान) है।
  • इस काल में मानव के अस्थिपंजर का सबसे पहला अवशेष प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) के सराय नाहर तथा महदाह नामक स्थान से प्राप्त हुआ।(History of India)

3. नवपाषाण युग –

  • इस युग में मानव ने खेती करना तथा पहिए का आविष्कार किया।
  • भारत में नवपाषाण युग संबंधित पहली खोज 1860 ईस्वी में लेन्मेसुरियर ने टांस नदी घाटी (उत्तर प्रदेश) के आसपास तथा राजस्थान में आहड (उदयपुर,) गणेश्वर (सीकर), ओझियाना (भीलवाड़ा) गिलुंड (राजसमंद) आदि में है।
  • नवपाषाण युग की प्राचीनतम बस्ती के साक्ष्य मेहरगढ़ (पाकिस्तान) में मिले हैं।
  • दक्षिण भारत में इस सभ्यता का मुख्य स्थल बेलारी है।
  • कृषि के प्रथम साक्ष्य मेहरगढ़ (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) तथा चावल का प्राचीनतम अवशेष उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के निकट कोल्डीहवा से मिला ।(History of India)

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